एक रुका हुआ फैसला, तारे ज़मीं पर, आयशा जैसी फिल्में हों या पचास साल तक देशभर में घूमकर थिएटर करना, कश्मीर का लोक नाट्य दुनिया में फैलाना या इमरजेंसी, सिख विरोधी दंगे, बाबरी विध्वंस के बाद राष्ट्रपति से मिलना और सफदर हाशमी की हत्या के बाद सहमत का बनना… एम के रैना हर जगह हैं. उनकी नई किताब आई है.. ‘Before I Forget’. इसमें आधी सदी में उन पर गुज़रे सारे किस्से दर्ज हैं.. आज ‘पढ़ाकू नितिन’ में आनंद लीजिए इस बैठकी का. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Podden och tillhörande omslagsbild på den här sidan tillhör Aaj Tak Radio. Innehållet i podden är skapat av Aaj Tak Radio och inte av, eller tillsammans med, Poddtoppen.