अख़बार हर जगह सुख शांति है, आराम है काश ये अख़बार की हों सुर्खियाँ एक खबर कल आई थी खुशहाली की अब तक वो अख़बार संभाले बैठे हैं स्याह काले हाशियों के बीच होगा फिर लहू सुबह के अख़बार की कल सुर्खियाँ तुम देखना नित वही हिंसा वही हैं हादसे में तो अब उकता गया अख़बार से खून भी छापे गए हैं, 'रेप' भी छापे गए आप कहिए तो भला है क्या कमी अख़बार में Rss Apple Podcaster →