आसमां मुझको खिड़की से जो नज़र आया मैंने उतना ही आसमां समझा आसमां तक ले के जायेंगी तुम्हे ये खूबियाँ शर्त है ‘गुलशन’ कि अपनी ख़ामियाँ तुम देखना कम हुआ बेशक ज़मीं और आसमाँ का फ़ासला बढ़ गया लेकिन दिलों के दरमियाँ का फ़ासला इस धरती से आसमान तक जा पहुंचा विज्ञान ऐसे में हम खो बैठे हैं भीतर का इंसान उसे मंज़ूर ही शायद नहीं हैं मेरी फरियादें तभी तो आसमाँ से सब सदायें लौट आती हैं --- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/aryann-visionary/support Rss Apple Podcaster →