ईश्वर ने संपूर्ण सृष्टि को रचा है। हम सभी में उसका अंश है और उसकी ऊर्जा है। सांसारिक मोह का जाल जब तक हमें बांधे रखता है, हम अहंकार के अंधेरे में जीते रहते हैं और अपने ईश्वर से दूर हो जाते हैं। 'मैं तो कुछ भी नहीं, असली कर्ता ईश्वर है।' मेरी साँसों को चलाने वाला वही सृष्टि रचयिता है । उसका नाम हर पल लेती रहूँ- यही कामना है मेरी। कान्हा की आस में ही जीवन बिताने की "इबादत" है।

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